शाहपुर विलेज, मुंबई जैसे भीड़-भाड़ और चकाचौंध वाले शहर में शान्ति के पल ढूंढना थोड़ा मुश्किल सा तो है,पर नामुमकिन नहीं। हमने भी कुछ दिनों पहले इस नामुमकिन सी चीज को मुमकिन कर दिखाया। अब लॉकडाउन चल रहा है तो आप लोगों को भी इस ट्रैवलॉग के जरिए उसी शांत माहौल में ले चलती हूं। तो हम जाने वाले हैं हिडेन विलेज।
ये मुंबई नासिक हाइवे पर शाहपुर नाम के गांव में है, ये एक तरह का आर्टिफिशियल गांव शाहपुर विलेज, मुंबई बनाया गया है, जहां बतख, गाय, चिड़ियों की चहचहाहट और वो सब था जो गांवों में होता है। शाहपुर जाने के लिए आपको अटगांव की लोकल ट्रेन पकड़नी होगी, जो किसी भी बड़े स्टेशन से मिल जाएगी। जाने की एक्ससाइटमेंट इतनी थी कि सुबह 5 बजे ही उठ गई, कुछ खाने पीने का सामान रखा और तैयार होकर चल पड़ी।
मैंने ठाणे से अटगांव के लिए लोकल पकड़ी और बाहर पहाड़, समंदर और प्रकति को करीब से महसूस करते करते लगभग 2 घंटे में अटगांव पहुंच गए थे, ठाणे से अटगांव रिटर्न टिकट 40 रुपए का पड़ेगा। फिर अटगांव पहुंचते ही हमारी सवारी रेडी थी। मतलब अटगांव पहुंचने के बाद हिडेन विलेज शाहपुर विलेज, मुंबई वाले ऑटो या सफारी गाड़ी देते हैं, ऑटो के लिए 100 रुपए देने होंगे और फिर आप पहुंच जाएंगे एक ऐसी जगह, जिसे आप बहुत दिनों से मिस कर रहे थे।
हिडेन विलेज पहुंचते ही सबसे पहले बुकिंग कराई, अगर आप दो लोग जा रहे हैं तो 2500 में आप पूरा गांव घूम सकते हैं, पहुंचते ही देसी नाश्ते के साथ हमारा स्वागत हुआ, जिसमें महाराष्ट्रियन डिश ज्यादा थी, मिसलपाव, पोहा और गरमागरम चाय। पेट पूजा के बाद निकल पड़े गांव शाहपुर विलेज, मुंबई की सैर पर।
पेड़ के नीचे झूले लगे हैं, जहां आप प्रकृति की गोद में आराम फरमा सकते हैं। चारों तरफ बतखों और चिड़ियों का इतना शोर था, बावजूद इसके बहुत सन्नाटा था, शान्ति थी। एक छोटा सा तलाब था,जहां फिश स्पा का इंतजाम है, पैर डालते ही छोटी-छोटी मछलियां आपके स्वागत में आ जाएंगी।
फोटोशूट के शौकीनों के लिए ढेर सारे कॉर्नर हैं, दोपहर का वक्त था और खाने के लिए बुलावा आ चुका था। खाने में वेज, नॉन वेज दोनों का इंतजाम था, वीकेंड पर भीड़ ज्यादा थी तो प्लेट हाथ में लिए हम अपनी बारी का इंतजार करने लगे।
खाने में छाछ और सिलबट्टे पर पिसी चटनी खास थी और आखिर में खीर के तो क्या कहने। पेट पूजा के बाद हम फिर कुछ इन्डोर गेम्स खेलने लगे और फिर थकान दूर करने के लिए फिश स्पा करवाया। शाम को पोहे और भेलपुरी के नाश्ते के बाद ढेर सारी यादें और फोटो के साथ हम अपने अपने घर को आ गए।
इस नए बने टूरिस्ट स्पॉट के बारे में ये तमाम बातें हमें लिख भेजी हैं शालू अवस्थी ने। शालू पत्रकार हैं। शालू बताती हैं कि अब तो हर वीकेंड निकल लेती हैं कहीं न कहीं घूमने। धुन सवार है कि जितना घूम सकें उतना घूम डालें, बस घूम डालें। स्वादिष्ट व्यंजनों में जान बसती है। फोटो खिंचवाना पसंदीदा शगल है। चाहती हैं कि इस ब्रह्मांड के सभी लोग झोला उठाकर घूमने निकल पड़ें।
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