Naagtaal उत्तराखंड के अनेक तालों मे से एक है लेकिन इस तक अभी ज्यादा लोग पहुंच नहीं पाए हैं। यही एक कारण है कि ये बहुत ही खूबसूरत ताल है। जहां ज्यादा लोगों का आना- जाना होतो है वहां की खूबसूरती खत्म हो जाती है। तो आइये हम बताते हैं कि कैसा था हमारा Naagtaal का अनुभव।

कहां स्थित है Naagtaal?
उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में फाटा नामक एक गांव है। यहां से मोठ बुग्याल होते हुए करीब 4 किलोमीटर की चढ़ाई पर आपको Naagtaal मिल जाएगा। इस ताल का पानी दिखने में काला है लेकिन असल में एकदम शुद्ध और औषधि पूर्ण है। इस ताल का आकार बिलकुल नाग के फन जैसा है। इस ताल के तीन तरफ आपको घना जंगल मिलेगा। चौथी तरफ ताल की ओर पहुंचने एवं निकलने का रास्ता है। ये रास्ता हरीभरी घास से भरा हुआ है।
Naagtaal दिखने में एकदम सुंदर है। यहां आपको कई तरह के जानवर देखने को मिलेंगे। तेंदुआ, भालू, काखड़(पहाड़ी हिरण), बारहसिंहा और उत्तराखंड का राज्य पक्षी मोनाल ये सब यहां पाये जाते हैं। इसके अलावा बर्ड वॉचिंग के लिए भी ये उचित स्थल है।
हम कैसे पहुंचे Naagtaal?
हमारा सफर उत्तराखंड के श्रीनगर से शुरू हुआ। श्रीनगर से बस द्वारा हम फाटा पहुंचे। फाटा में कुछ देर आराम करने के बाद हमने ट्रेक करना शुरु किया। ट्रेक के वक्त हमने प्रकृति का हर रंग देखा। गांव के बीचो बीच से निकलते हरे भरे रास्तों से हम गुजर रहे थे। शुरुआती दो किलोमीटर चढ़ने के बाद हमें एक बहुत बड़ा सा मैदान नजर आया। गांव के बच्चे वहां खेल रहे थे, पास में ही एक सुंदर सा मंदिर भी था। उस मैदान में कुछ देर रुकने के बाद हम आगे की ट्रेक पर निकल पड़े।

हम जितने ऊपर चलते जा रहे थे, हिमालय श्रृंखला और साफ दिखती जा रही थी।चलते-चलते हम गांव पार कर चुके थे और अब हमारे सामने सिर्फ बुग्याल था। हमारे ठीक पीछे हिमालय दिख रहा था। बुग्याल पर चलते हुए हम जा पहुंचे Naagtaal। पूरे रास्ते से एकदम अलग दिख रहा था ये ताल। Naagtaal इतने घने जंगलों से घिरा है कि पहली बार उसे देख कर हम थोड़ा सा डर गए थे। समय के साथ धीरे-धीरे हम सामान्य होने लगे। ताल किनारे मैं कुछ देर शांत बैठ गई। थोड़ी देर वहां बैठने के बाद हम ताल के चारो ओर चक्कर काटने निकल पड़े। घने जंगल और दूर छुपे हुए जानवरों की आवाज से हमें डर तो लग ही रहा था लेकिन घूमना भी जरूरी था।
चारो तरफ चक्कर काटने के बाद हम कुछ देर और ठहर गए। उसके बाद दो किलोमीटर ट्रेक डाउन करके हमने अपना टेंट लगाया। हम ताल के पास टेंट नहीं लगा सकते थे क्योंकि वहां रात को जंगली जानवर पानी पीने आते हैं। हमने अपनी रात वहीं टेंट में गुजारी और अगले दिन वापस हो लिए।
क्या है Naagtaal की कहानी?
कहते हैं कि इस ताल का नाम नाग देवता के नाम पर रखा गया है। माना जाता है कि यहां नाग देवता का वास हुआ करता था और वह यहां दर्शन दिया करते थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि नर्तकियां यहां आकर नृत्य किया करती थीं और नाग देवता उनसे प्रसन्न होकर उन्हें अपने फन के दर्शन देते थे।
कैसे पहुंचे Naagtaal?
Naagtaal पहुंचने के लिए सबसे पहले आपको ऋषिकेश पहुंचना होगा। ऋषिकेश आप बस या ट्रेन के जरिये पहुंच सकते हैं। ऋषिकेश से बस के जरिये आपको रुद्रप्रयाग पहुंचना होगा और रुद्रप्रयाग से आपको फाटा की बस पकड़नी होगी। फाटा पहुंचने के बाद आप Naagtaal के लिए अपना 4 किलोमीटर का ट्रेक शुरु कर सकते हैं।
ये भी देखें: https://youtu.be/q9nvNI4uNLc