Migratory birds | साल 2000 में झारखंड बनने का मुख्य कारण था, उसका बिहार से अलग होना- चाहे इसका कारण भाषा हो या संस्कृति हो या जनजातियां। यहां लगभग 32 जनजातियां रहती हैं। यहां का खानपान और जीवनशैली अपको चौंका देगी। जो आपको सबसे ज्यादा चौंकाएगा, वो है यहां की अलौकिक प्राकृतिक सौंदर्यता। एक बात है जो आप में से बहुत कम लोग ही जानते होंगे, वो है हर साल विदेशों से लाखों migratory birds का यहां आना। 78 ऐसी प्रजातियों के पक्षी हैं जिनमें से 62 वॉटर बर्ड हैं, 16 प्रजाति दलदल या थोड़े पानी में रहने वाले हैं।

कई migratory birds की प्रजाति खतरे में
सरकार आने वाले इन migratory birds का आंकलन करती है। इस बार सरकार ने आंकलन किया तो आंकड़ें चौंकाने वाले थे, इनमें 11 migratory birds की ऐसी प्रजातियां थी जो खतरे में है। जो प्रजाति खतरे में हैं, उनमें ओरिएंटल वाइट आइबिस, फेरोजिनस पोचार्ड, यूराशियन कर्लेव, वेस्टर्न मार्श हैरियर, लार्ज व्हिसलिंग बर्ड, डार्टर, वाइट नेक्ड स्टॉर्क, वेस्टर्न मार्श हैरियर और ब्लैक बिल्ड टर्न के नाम शामिल हैं।
इसके अलावा आने वाले पक्षियों में कॉमन कूट, बार हेडेड गूज, टफड डक, नोर्थन पिनटेल, नोर्थन शोवलर, वाइट कैप्ड रेड स्टार्ट, लेजर एडजुटेंट, डार्टर, व्हाइट नेक्ड स्टॉक, ओरियंटल पोचार्ड, यूराशियन कर्लेव, ब्लैक बिल्ड टर्न, वेस्टर्न मार्श हैरियर, ऑसप्रे, लेजर व्हिस्लिंग डक, रेज क्रस्ड पोचार्ड, रिवर टर्न और लार्ज व्हिस्लिंग डक शामिल हैं।
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झारखंड में मौजूद इन डैमों में लगता है इन पक्षियों का डेरा
झारखंड के डैम हमेशा से ही पर्यटकों का केंद्र रहे हैं। जहां आप प्रकृतिक नजारों का आनंद ले सकते हैं। साथ ही, लोग वहां जाकर पिकनिक मना सकते हैं। जिसमें आने वाले ये migratory birds चार चांद लगा देते हैं। आप पक्षी प्रेमी हैं तो आप इन डैम की ओर तुरंत कूच कर सकते हैं। सबसे ज्यादा पक्षियों की संख्या मसानजोर डैम, चांडिल डैम और उधवा लेक बर्ड सेंक्चुरी में हैं। इसके अलावा आप पक्षियों को देखने के लिए तेनाघाट डैम, तपकारा डैम, कांके डैम, तोपचांची और मलय डैम भी जा सकते हैं।
लोगों और सरकार की अनदेखी से हो सकता है इन migratory birds का आना बंद
इन पक्षियों के आने से झारखंड की सुंदरता और बढ़ जाती है मगर ये सुंदरता ज्यादा दिनों तक टिक सकती। ज्यादातर लोग डैमों के आसपास पिकनिक के लिए आते हैं। साथ ही, अपने साथ बहुत सारा प्लास्टिक का कूड़ा भी लाते हैं। जो लगातार डैमों को गंदा कर रहे हैं अगर सरकार भी इन डैमों की सफाई में तेजी नहीं दिखा रही है।
जिसके कारण हर साल आने वाले इन migratory birds की संख्या कम होती जा रही है। सरकार को जरूरत है कि लोगों में सफाई को लेकर जागरूकता बढ़ाए। साथ ही, डैम में होने वाली सफाई का काम लगातार करवाते रहें। जिसकी वजह से आने वाले इन मेहमानों का दिल झारखंड में लगा रहे और हमें भी इन सुंरद पक्षियों को देखने का आनंद मिलता रहे।
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