पंच केदार की कथा से रूबरू होने के बाद अब हम चलते हैं प्रथम केदार यानि Kedarnath Temple की ओर। केदार घाटी में बसा हुआ यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। केदारनाथ की यात्रा मेरे जीवन का पहला ट्रेक था। मेरे लिए इस ट्रेक का अपना एक अलग ही उत्साह रहा। आइये जानते हैं कि मेरी केदारनाथ की यात्रा कैसी थी और मैंने क्या-क्या अनुभव किया?

केदारनाथ की यात्रा पर जाने के खबर ने ही मुझे बेहद उत्साहित कर दिया था। मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ बाबा के दर्शन के लिए निकल पड़ी। हमारी इस यात्रा की शुरुआत श्रीनगर, गढ़वाल से हुई। श्रीनगर गढ़वाल में ही हमारी यूनिवर्सिटी भी है। वहां से हमने सुबह करीब 6 बजे गौरीकुंड की बस पकड़ी। 5 घण्टे का सफर तय करके हम गौरीकुंड पहुंचे। अब क्योंकि हम सुबह से ही सफर में थे तो हम सभी को भूख भी लग गई थी। गौरीकुंड में ही एक सस्ता और टिकाऊ-सा ढाबा देख कर हम वहां बैठ गए। वहां नाश्ता करने के बाद हमने थोड़ा आराम किया और थोड़ी एनर्जी जमा की। एनर्जी की जरूरत तो थी ही क्योंकि इसके आगे हमें 18 किलोमीटर ट्रेक करना था। करीब 2 बजे हमने ट्रेक करना शुरू किया।
कैसे शुरू हुई हमारे यात्रा?
ट्रेक की शुरुआत में हम सभी बहुत उत्साह से भरे हुए थे। जितने भी यात्री केदारनाथ के दर्शन करने आये थे, सब महादेव का जय-जयकार लगा रहे थे। हर-हर महादेव के हुल्लरों से मन में और भी उत्साह भरता जा रहा था। उत्तराखंड की खूबसूरती के तो क्या ही कहने ? नजरें उलझन में थी कि- किस मंजर को निहारा जाए? यात्रा में अलग-अलग उम्र के लोग थे, कई पैदल तो कई घोड़ों पर सवार थे। हालांकि रास्ता पहाड़ी है और लंबा भी, तो धीरे-धीरे थकान भी महसूस होने लगी थी।
पहाड़ी रास्ता कभी भी सीधा नहीं होता, चढ़ाई का सामना करना ही पड़ता है। अब क्योंकि आप एक पहाड़ पर चढ़ रहे हैं तो समुद्री तल से ऊपर की ओर बढ़ रहे होते हैं। ऊंचाई बढ़ने के कारण सांस लेने में दिक्कत का सामना भी करना पड़ सकता है। लेकिन अगर आप प्रकृति-प्रेमी हैं तो इन वादियों का निहारने और आनंद लेने से खुद को रोक नहीं सकते। लेकिन इस कारण आपका ध्यान आसानी से भटक सकता है। चूंकि ये मेरी पहली ट्रेक थी तो बहुत सी ऐसी परिस्तिथियां थी जिनसे मेरा परिचय नहीं था। इन परिस्तिथियों के बारे में मैं आपको आगे बताऊंगी।
केदारनाथ के ट्रेक में मौसम बहुत तेजी से बदलता है। पल भर में बहुत तेज हवाएं चलने लगती हैं, तो कभी बहुत तपती धूप निकल आती है। कभी भी आपको बहुत ठंड या बहुत गर्मी महसूस होगी। कभी-कभी बहुत तेजी से कोहरा छा जाता है तो बारिश या बर्फ गिरने के भी आसार रहते हैं। यही बदलता हुआ मौसम हमारे लिए एक चुनौती की तरह था। हर 5 मिनट में मौसम मानो हमें सरप्राइज दे रहा हो। इसी सरप्राइज को झेलते हुए हमने जैसे-तैसे 12 किलोमीटर का ट्रेक कर लिया।
थकान और पैरों में दर्द तो था ही लेकिन हर-हर महादेव के हुल्लरों ने हमारा उत्साह खत्म नहीं होने दिया। इस लम्बे ट्रेक पर आगे बढ़ते हुए हम ‘बड़ी लिनचोली’ नामक जगह तक पहुँच चुके थे। धीरे-धीरे अंधेरा भी छा चुका था और अंधेरे में आगे बढ़ना हमें सुरक्षित नहीं लगा। बहुत सोच-विचार करके हमने रात बड़ी लिनचोली के कैम्पस में ही बितायी। रात में मौसम और भी सर्द हो चला था और उसी सर्द मौसम की ठिठुरन में हम अपने-अपने कैम्प में सो गए।
रात भर सुकून की नींद लेने के बाद सुबह बहुत दर्द भरी थी। 12 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद पैरों में दर्द रहना वास्तविक सी बात थी। इस दर्द के साथ हमें 6 किलोमीटर और चढ़ना था। हम सबके पैर बहुत बुरी तरह से दर्द करने लग गए थे। आगे चलने की हिम्मत जुटाने में हमें करीब एक घंटा लगा। हमने 10 बजे बड़ी लिनचोली से दुबारा ट्रेक करना शुरू किया। हम जितना आगे चलते जा रहे थे, मौसम उतना ही सुहाना होता जा रहा था। हरी-भरी वादियां, ठंडी हवाएं और दिल में केदार बाबा के दर्शन का उत्साह।
एक बार फिर महादेव के हुल्लारों के साथ हमने उन वादियों पर ट्रेक करना शुरू कर दिया। केदारनाथ मंदिर के दर्शन 2 किलोमीटर पहले स्थित हैलीपैड से ही हो जाते हैं। वहीं से आपके अंदर सकारात्मकता का भाव प्रकट होने लगता है। हम कुछ ही मिनटों केदार के द्वारा पहुंच गए, भक्तों की दर्शन के लिए बहुत लंबी कतार लगी थी। भक्ति का माहौल, खूबसूरत वादियां और इतना लंबा ट्रेक करके मंजिल तक पहुंचने का आनंद शब्दों में बयान करना मुश्किल है।
Kedarnath Temple के दर्शन
कुछ देर आराम करने के बाद हम भी भक्तों की कतार में लग गए। लंबे इंतजार के बाद आखिरकार हमें केदार बाबा के दर्शन हुए। जैसा की कथा में आपने पढ़ा होगा कि भैंस रूपी शिव के पीठ का हिस्सा केदारनाथ में रह गया था। बिलकुल वैसी ही आकार की शीला के दर्शन आपको गर्भगृह में देखने को मिलेगी। दर्शन करके हम सबके मन को बहुत ही शांति मिली। मैं और मेरे साथी काफी वक्त के लिए शांति में डूब गए, मन के सभी शोर शांत हो गए। वहां एक अलग माहौल था जिसमें हम डूबते चले जा रहे थे।
खुद को एक लंबा वक्त देने के बाद हम सब केदारनाथ मंदिर से उपर की तरफ एक किलोमीटर और चढ़े। वहां पर स्थित है भैरव मंदिर। केदारनाथ से और ऊंचाई पर भैरव देवता के दर्शन के साथ-साथ पूरी केदार घाटी का बहुत सुंदर दृश्य देखने को मिलता है। आप चाहें तो भैरव मंदिर से भी उपर ट्रेक करके प्रकृति का आनंद उठा सकते हैं।

क्या थी कठिन परिस्तिथियां?
अब बात आती है उन कठिन चुनौतियों की जिनका हमने सामना किया। अगर आप केदारनाथ या फिर किसी भी ट्रेक पर जा रहें हैं तो कम से कम और जरूरी सामान लेकर जाएं। भारी सामान के साथ चढ़ाई करना बेहद मुश्किल हो जाता है। अपने साथ एक रेनकोट जरूर रखें क्योंकि पहाड़ों पर मौसम बहुत तेजी से बदलता है। सैनिटरी प्रोडक्ट्स का खास ध्यान रखें। अपने साथ कुछ जरूरी दवाइयां जरूर लेकर जाएं। ये सारी गलतियां मै कर चुकी हूं और इनसे जुड़ी बहुत परेशानी का सामना भी करना पड़ा। आप इन बातों को जरूर ध्यान रखें।
कैसे पहुुंचे Kedarnath Temple?
आप सबसे पहले ट्रेन या बस से ऋषिकेश पहुंचे। ऋषिकेश से गौरीकुंड के लिए आपको बस मिल जाएगी। गौरीकुंड पहुुंच कर आप अपनी 18 किलोमीटर की ट्रेक पूरी करके बाबा केदार के दर्शन कर सकते हैं।